Wednesday 3 August 2016

Mola Ali A.s Haq Hai

Assalawalekum dosto
शम-ए-मोहब्बत-ए-अली दिल में जला के देख ।
होंगे अंधेरे दूर सभी आज़मा के देख ।
पहुंचेगा अपनी मंज़िले मकसूद पे ज़रूर ।
ले के अली का नाम कदम तो बढ़ा के देख ।
बदकिस्मती पे अपनी यूं रोता है किस लिए ।
किस्मत दरे अली पे ज़रा आज़मा के देख ।
दर दर सवाली बन के भटकता है किस लिए ।
मौला अली के दर पे ज़रा सर झुका के देख ।
बेशक सवाल से पहले ही आ जाएगा जवाब ।
दरवाज़ा-ए-अली तो ज़रा खटखटा के देख ।
आसान होगी पल में तेरी सारी मुश्किलें ।
मुश्किल कुशा अली से ज़रा लौ लगा के देख ।
उम्मीद से भी अपनी कहीं ज़्यादा पाएगा ।
दर पे अली के तू ज़रा दामन बढ़ा के देख ।
दुनिया के ताजो तख्तो हुकूमत है चीज़ क्या ।
मिल जाएगा खुदा दरे हैदर पे आ के देख ।
जन्नत भी बेकरारी से देखेगी तेरी राह ।
मौला अली को अपना वसीला बना के देख ।
तझको खुदा ए पाक भी अपना बनाएगा ।
आले रसूले पाक को अपना बना के देख ।
क्या मरतबा अली का है चल जाएगा पता ।
बुग्ज़े अली का आंखों से चश्मा हटा के देख ।
कहना पडेगा तुझको भी हैदर है बेमिसाल ।
किरदारे मुरतज़ा को किसी से मिला के देख ।
हर पारा कह रहा है अली की फज़ीलतें ।
कर के वज़ू खुलूस से कुरआं उठा के देख ।
मौला अली को पाएगा हर शै में हर जगह ।
तू लाख दुश्मने अली दामन बचा के देख 

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